संविधान
सिन्धी भाषा और इसके साहित्य को संरक्षित,सवंर्द्धित एवं विकास और उसके द्वारा देश की सांस्कृतिक एकता प्रोन्नत करने के लिये एक राज्य स्तरीय संगठन स्थापित किया जाना समीचीन प्रतीत हुआ। अतः एतद्द्वारा निम्न प्रस्तावित है :
- नाम : एक राज्य स्तरीय सिन्धी अकादमी की स्थापना, जो
''राजस्थान सिन्धी अकादमी'' कहलायेगी।
- मुख्यालय : इस अकादमी का मुख्यालय जयपुर में एम.आई.रोड., जयपुर होगा।
- संगठन एवं कार्य:
अ. अकादमी एक निगमित निकाय होगी। इसकी शाश्वत मुद्रा (सील) होगी और अपने
निगमित नाम से वाद दायर कर सकेगी और इस पर वाद दायर किया जा सकेगा।
ब. अकादमी किसी भी राजनीतिक या साम्प्रदायिक संस्था से संबंध नहीं रखेगी। यह
सिन्धी भाषा और साहित्य का सभी रूपों में संरक्षण और संवर्द्धन तथा सिन्धी साहित्य
एवं साहित्यिक संस्थाओं के प्रोत्साहन के लिये कार्य करेगी।
स. इसके निम्नलिखित उद्देश्य और कार्य होगें, अर्थात् :
i. सिन्धी भाषा और साहित्य के क्षेत्र में अध्ययन और अनुसंधान को प्रोत्साहन एवं बढावा देना।
ii. राज्य में सिन्धी संगठनों के कि्रया कलापों में समन्वय स्थापित करना
iii. सिन्धी साहित्य से जुडे साहित्यकारों और साहित्य के क्षेत्र से जुडी संस्थाओं के बीच सहयोग बढाना और ऐसी संस्थाओं के गठन और विकास को प्रोत्साहित करना।
iv. राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर सिन्धी साहित्यिक संस्थाओं के माध्यम से गोष्ठियां, सम्मेलन आयोजित कर साहित्यिक विचारों के आदान-प्रदान को प्रोत्साहित करना v. साहित्यिक पुस्तकों, पत्र-पत्रिकाओं और शोध पत्रों का सिन्धी भाषा में प्रकाशन करवाना और प्रोत्साहित करना।
vi. विभिन्न सिन्धी संगठनों की आवश्यकता के अनुसार पुस्तकालयों और वाचनालयों की स्थापना, देखभाल और प्रबन्ध करना और विद्यालयों एवं सार्वजनिक वाचनालयों में पुस्तकें और पत्रिकायें उपलब्ध कराना।
vii. राजस्थान सोसाइटीज रजिस्ट्रेशन अधिनियम, १९५८ के अधीन रजिस्ट्रीकृत सिन्धी भाषा और साहित्य के क्षेत्र में कार्य करने वाली संस्थाओं/संगठनों को मान्यता देना और मान्यता प्राप्त संस्थाओं को आर्थिक सहायता देना।
viii. पुस्तक प्रदर्शनियों, मुशायरों और साहित्यिक कार्यक्रमों के माध्यम से देश में सांस्कृतिक और साहित्यिक सम्पर्कों को बढाना।
ix. योग्य लेखकों, कवियों और बुद्धिजीवियों को स्कॉलरशिप, फैलोशिप, स्टाइपेंड और पुरस्कार देना।
x. सिन्धी भाषा के लेखकों और कवियों को उनकी उल्लेखनीय उपलब्धियों के लिये मान्यता प्रदान करना और उनकी साहित्यिक कृतियों के प्रकाशन के लिये वित्तीय सहायता उपलब्ध करवाना।
xi. अध्ययन पाठ्यक्रम, व्याख्यान, सेमीनार, सम्मेलन, सर्वेक्षण कार्यक्रम आयोजित कर सिन्धी साहित्य के अध्ययन को बढावा देना।
xii. अपने उद्देश्यों और कार्यों की पूर्ति के लिये सभी प्रकार की सम्पति अर्जित करना, स्वामित्व रखना और उसकी देख-भाल, विक्रय, गिरवी या विक्रय करना परन्तु अचल सम्पत्ति का हस्तान्तरण राज्य सरकार की पूर्व अनुमति के बिना नहीं किया जा सकेगा
xiii. सुरक्षित कोष, ऋण कोष, बीमा कोष तथा अन्य विशेष कोष सृजित करना, जिनसे घाटे के लिये, मरम्मत के लिये, विकास के लिये, विस्तार के लिये या रख-रखाव के लिये या अकादमी के किसी अधिकार या सम्पति और या नष्ट सम्पति की क्षतिपूर्ति के लिये या अन्य उद्देश्य जिन्हें अकादमी उचित या समीचीन समझे कोष सृजित करना और इन कोषों के लिये आम जनता और संगठनों से दान और या अंशदान जुटाना।
परन्तु राजस्थान सरकार द्वारा उपलब्ध कराये गये अनुदान का कोई भी हिस्सा या राजस्थान सरकार द्वारा प्राप्त खर्चे से उत्पन्न किसी आय का हिस्सा, राज्य सरकार की पूर्व अनुमति के बिना ऐसे कोषों में से हस्तांतरित नहीं किया जायेगा।
xiv. सरकार द्वारा या आम जनता द्वारा प्राप्त धन, साधारण सभा द्वारा निर्धारित किसी अनुसूचित बैंक में जमा करवाना।
- अकादमी के पदाधिकारी : अकादमी के निम्नलिखित पदाधिकारी होंगे :
1. अध्यक्ष
2. उपाध्यक्ष
3. कोषाध्यक्ष
4. सचिव
- अध्यक्ष
अध्यक्ष राज्य सरकार द्वारा नियुक्त होगा । अध्यक्ष का कार्यकाल कार्यग्रहण की तिथि से तीन वर्ष का होगा । वह पुनर्नियुक्ति के लिये पात्र होगा। कार्यकारी मण्डल उचित समझे तो एक प्रस्ताव द्वारा अकादमी के प्रशासनिक और वित्तीय कार्य अध्यक्ष या सचिव को प्रत्यायोजित कर सकेगा परन्तु अध्यक्ष या सचिव द्वारा इस प्रत्यायोजन के अधीन किये गये कार्यों का विवरण, कार्यकारी मण्डल की आगामी बैठक में पेश करेगा।
- उपाध्यक्ष
i. उपाध्यक्ष का निर्वाचन अकादमी की साधारण सभा की प्रथम बैठक में साधारण सभा द्वारा किया जायेगा और कार्यकाल साधारण सभा के कार्यकाल के अनुरूप होगा।
ii. उपाध्यक्ष, अध्यक्ष की अनुपस्थिति में, चाहे कोई कारण हो, अध्यक्ष के सभी कृत्यों का निर्वहन करेगा और शक्तियों का प्रयोग करेगा ।
- कोषाध्यक्ष
i. कोषाध्यक्ष की नियुक्ति अध्यक्ष के द्वारा साधारण सभा की अभिशंसा पर की जायेगी और कार्यकाल साधारण सभा के प्रसाद पर्यन्त होगा।
ii. कोषाध्यक्ष अकादमी की सम्पत्तियों के प्रबन्ध और निवेश से संबंधित सभी मामलों में वार्षिक अनुमान और लेख तैयार करने और खर्च की गयी राशि का हिसाब तथा जिस उद्देश्य के लिये राशि आवंटित, अनुदानित या बढायी गयी थी के बारे में राय देगा।
iii. अकादमी के प्रभावशाली वित्तीय प्रबन्धन को सुनिश्चित करने के लिये कोषाध्यक्ष की निम्नलिखित शक्तियां और कार्य होंगे, अर्थात् ः-
A. अकादमी के बजट निर्माण में सहायता देना।
B. अकादमी के आय-व्यय का उचित लेखा रखना तथा अकादमी की नगदी को सुरक्षित रखना।
C. समय-समय पर अकादमी की ओर से धन प्राप्त करना।
D. अकादमी को प्रभावित करने वाले किन्ही वित्तीय प्रश्नों पर अपने आप या अध्यक्ष या सचिव या अकादमी के अन्य किसी प्राधिकारी द्वारा मांगे जाने पर सलाह देना।
- सचिव
I. सचिव अकादमी का कार्यकारी अधिकारी होगा और सचिव की नियुक्ति राज्य सरकार द्वारा निर्धारित अवधि और शर्तों के अध्यधीन की जायेगी।
II. सचिव साधारण सभा, कार्यकारी बोर्ड, वित्त समिति और अध्यक्ष, साधारण सभा या कार्यकारी बोर्ड द्वारा गठित अन्य सभी समितियों का पदेन सचिव होगा लेकिन वह इन समितियों का सदस्य नहीं माना जोयगा।
III. सचिव के निम्न कर्त्तव्य होगें :
A. प्रशासक मण्डल द्वारा दिये गये अधिकारों के तहत अकादमी के अभिलेखों और अन्य सम्पत्तियों के संरक्षक के रूप में कार्य करना।
B. अकादमी के प्राधिकारियों की ओर से कार्यालय का पत्र-व्यवहार करना।
C. प्राधिकारियों और ऐसे किसी प्राधिकारी द्वारा गठित सभी समितियों को बैठकों के आयोजन के बारे में समस्त नोटिस जारी करना।
D. प्राधिकारियों और ऐसे किन्हीं प्राधिकारियों द्वारा गठित सभी समितियों की समस्त बैठकों का कार्यवाही विवरण रखना।
E. अकादमी के लेखों के उचित संधारण को सुनिश्चित करना और अध्यक्ष के नियंत्रण के अध्यधीन कोषाध्यक्ष के कार्य का पर्यवेक्षण करना।
F. कार्यकारी मण्डल के नियन्त्रणाधीन अकादमी की सम्पत्ति और निवेश के प्रबन्ध पर नियंत्रण और वार्षिक अनुमान तैयार करने, लेखा तैयार करने और उनके कार्यकारी मण्डल या साधारण सभा में प्रस्तुत करने के लिये जिम्मेदार होगा।
G. कार्यकारी मण्डल की शक्तियों के अध्यधीन इस विषय में भी जिम्मेदार होगा कि धन जिस उद्देश्य के लिये आवंटित किया गया था या बढाया गया था उस पर व्यय हुआ या नहीं।
H. कार्यकारी मण्डल के अनुमोदन के पश्चात् ऐसे समस्त सम्पत्ति के अनुबन्ध पत्रों पर अकादमी की ओर से हस्ताक्षर करना।
I. कार्यकारी मण्डल या साधारण सभा द्वारा उसे सौंपे गये ऐसे अधिकार और शक्तियों का प्रयोग करना या अध्यक्ष द्वारा सौपें गये अन्य कार्यों का निर्वहन करना।
IV. सचिव, कार्यकारी मण्डल द्वारा इस उद्देश्य के लिये प्राधिकृत कोई व्यक्ति, अकादमी को भुगतान किये गये धन की प्राप्ति की रसीद देने के लिये सक्षम व्यक्ति होगा।
- अकादमी की निम्न अधिकारिक संस्थायें :
अ. साधारण सभा।
ब. कार्यकारी मण्डल ।
ब. वित्तीय समिति ।
द. अन्य स्थाई समितियां - जिन्हें कार्यकारी परिषद्/सामान्य सभा उनके
कार्यो को संपादित करने के लिये गठित करे ।
10.सामान्य सभा
(अ) सामान्य सभा तीन वर्ष के लिये होगी, तथा यह निम्न से मिलकर बनेगी।
i. चेयरमैन (अध्यक्ष)
ii. वाइस चेयरमैन (उपाध्यक्ष)
iii. राजस्थान सरकार द्वारा मनोनीत जिनकी संख्या चार से अधिक नहीं होगी, जिनमें एक प्रतिनिधि शिक्षा विभाग से होगा तथा तीन अन्य व्यक्ति होगें जो कि तीन वर्ष तक अथवा साधारण सभा के कार्यकाल तक जो भी कम हो।
iv. साधारण सभा में सरकार द्वारा नौ व्यक्तियों को नामांकित तथा नियुक्त किया जायेगा, जो निम्न योग्यता रखेगें :
(अ) एक व्यक्ति जिसको सिन्धी भाषा का पर्याप्त ज्ञान प्राप्त हो प्रत्येक
विश्वविद्यालय-राजस्थान जयपुर, जोधपुर तथा उदयपुर द्वारा नामांकित किया
जायेगा।
(ब) सिन्धी, हिन्दी तथा राजस्थानी भाषा में विशिष्ठ योग्यता रखने वाले तीन
प्रबुद्ध व्यक्ति तथा
(स) एक 'राजस्थान संगीत नाटक अकादमी', 'राजस्थान ललित कला अकादमी'
एवं 'राजस्थान साहित्य अकादमी' प्रत्येक से एक व्यक्ति।
v. साधारण सभा के नियमानुसार राज्य सरकार उन छः व्यक्तियों को नाम निर्देशित करेगी जो सिन्धी भाषा के श्रेष्ठ लेखक, कवि तथा सामाजिक कार्यकर्ता होगें।
vi. साधारण सभा के उपरोक्त नामित सदस्यों द्वारा नौ सदस्यों का सहवरण किया जायेगा जो सभा के समानान्तर कार्यकाल तक सदस्य रहेंगे।
(अ) नियुक्त सदस्य, नामांकित सदस्य, चयनित सदस्य में से किसी भी सदस्य
की मृत्यु, त्यागपत्र या अन्य किसी भी कारणों से रिक्त हुये पद को नियुक्ति
प्रक्रिया, नामांकित प्रक्रिया, चयन प्रक्रिया के द्वारा ही भरा जायेगा जिसका
कार्यकाल शेष रही अवधि तक का होगा।
(ब) साधारण सभा कार्यकारी मण्डल व वित्त समिति में ऐसी कोई रिक्ति जो
किसी व्यक्ति के कारण रोक दी जाती है अथवा किसी अन्य कारण से भरने
से रह गई है, ऐसी स्थिति में सामान्य सभा, कार्यकारी मण्डल एवं वित्त
समिति की बैठकों की कार्यवाही उस रिक्ति के भरे जाने तक अवैध नहीं
मानी जायेगी।
(स) राज्य सरकार द्वारा यदि किसी व्यक्ति विशेष को अकादमी की विशेष बैठक
के लिये पदेन नामित किया जाता है तो उसे केवल उस बैठक के लिये
अकादमी की साधारण सभा के सदस्य के समस्त अधिकार एवं सुविधायें
प्राप्त होंगे।
11.साधारण सभा के कार्य : साधारण सभा के निम्नलिखित कार्य एवं शक्तियां होंगी :
i. उपाध्यक्ष का चयन करना।
ii. नौ सदस्यों का चुनाव अनु० १० (अ)(IV) के अनुसार।
iii. अनु० १३ (पअ) के अनुसार कार्यकारी मण्डल के सदस्यों का चयन तथा कार्यकारी मण्डल के नियम एवं प्रक्रिया बनाना।
iv. १५ (४) के अनुसार वित्त समिति के सदस्यों का चयन करना तथा उन्हें नियम तथा प्रक्रिया बतलाना।
v. कार्यकारी मण्डल द्वारा पारित वार्षिक बजट को अकादमी के लिये पास करना।
vi. ऑडिटरस की नियुक्ति करना जब तक कि राजस्थान सरकार अकाउटेंट जनरल द्वारा व्यवस्था नहीं करती।
vii. कार्यकारी मण्डल की सिफारिश पर संगठनों तथा संस्थाओं, जो कि सिन्धी भाषा तथा साहित्य में उपयोगी सेवा दे रही है को अनुदान स्वीकृत करना। उक्त संस्थायें या संगठन, राजस्थान सहकारी समितियां पंजीकरण अधिनियम १९५८ में पंजीकृत होनी चाहिये।
viii. कार्यकारी मण्डल द्वारा प्रस्तावित कार्यक्रमों पर विचार तथा पास करना।
ix. सरकार द्वारा प्रमाणित विषयों के लिये कानूनी प्रक्रिया के तहत नियम तैयार करना।
x. वे सभी कार्य पूरे करना जो संगठन अथवा अकादमी के प्रक्रिया सुधार के लिये आवश्यक हों।
12.साधारण सभा की बैठकें :
साधारण सभा की साधारणतया वर्ष में एक बार मुख्यालय पर अकादमी अध्यक्ष द्वारा निर्धारित समय तथा तारीख को बैठक होगी। साधारण सभा की विशेष बैठकों के आयोजन कभी भी, किसी भी समय अध्यक्ष के आदेशानुसार या कोई भी कार्यकारी परिषद् द्वारा अथवा कुल सदस्यों के एक-तिहाई सदस्यों द्वारा लिखित प्रार्थना के आधार पर, मुख्यालय या अन्य किसी भी स्थान पर आयोजित की जा सकेगी।
13. कार्यकारी मण्डल : कार्यकारी मण्डल का स्वरूप निम्न प्रकार से होगा :
i. अध्यक्ष
ii. उपाध्यक्ष
iii. साधारण सभा के नामांकित सदस्यों में से सरकार द्वारा तीन सदस्यों का नामांकन।
iv. तथा दो सदस्यों का चयन, साधारण सभा अपने सदस्यों में से करेगी।
14. कार्यकारी मण्डल के कार्य : कार्यकारी मण्डल के निम्न कार्य एवं शक्तियां होगीं :
A. साधारण सभा के पर्यवेक्षण में अकादमी के कार्यकारी प्राधिकार का कार्य करेगा।
B. कार्यकारी प्राधिकार अकादमी एवं इसके कार्यालय के कार्यो के पर्यवेक्षण एवं नियंत्रण के लिये उत्तरदायी होगा।
C. अकादमी के कार्यक्रम बनाना जिन्हें साधारण सभा से विचार-विमर्श कर प्रमाणित करवाना।
D. अकादमी का वार्षिक बजट बनाना जो वित्त समिति द्वारा निर्धारित सीमाओं के अन्तर्गत हो जिसे साधारण सभा से पारित करवाना।
E. अकादमी की वार्षिक प्रतिवेदन तथा लेखा-जोखा तैयार कर साधारण सभा के सामने विचार के लिये रखना।
F. साधारण सभा के समक्ष महत्वपूर्ण संगठनों, संस्थाओं जो सिन्धी भाषा में अपना योगदान दे रही हैं, विचार के लिये प्रस्तुत करना जो अकादमी से मान्यता के लिये तथा संबद्धता के लिये योग्य हो।
G. साधारण सभा के द्वारा तय दिशा-निर्देशों व वित्तीय सीमाओं के तहत, अकादमी द्वारा मान्यता प्राप्त संगठनों को वित्तीय सहायता उपलब्ध कराना।
H. उप अनु० (५) के क्लाज १५ के अनुसार वित्त समिति के एक सदस्य को नामांकित करना।
15. वित्त समिति : वित्त समिति में निम्न प्रकार से सदस्य होंगे :
- अध्यक्ष, जो कि समिति का अध्यक्ष होगा।
- कोषाध्यक्ष।
- राजस्थान सरकार द्वारा नामित एक व्यक्ति, आवश्यक नहीं कि वह साधारण सभा का सदस्य हो।
- दो प्रतिनिधि साधारण सभा के होंगे।
- कार्यकारी मण्डल द्वारा नामित एक व्यक्ति यह आवश्यक नहीं कि वह साधारण सभा का सदस्य हो।
16. वित्त समिति के कार्य :
वित्त समिति अकादमी के बजट पर विचार करेगी तथा कार्यकारी मण्डल को वित्तीय वर्ष
में ही सभी आय-व्यय की सीमाओं की सिफारिश करेगी।
17. सामान्य
- संगठन के ज्ञापन पत्र में सामान्य संशोधन : साधारण सभा के दो-तिहाई उपस्थित या मतदान करने वाले सदस्यों के द्वारा राज्य सरकार को यह प्रार्थना कर सकती है कि वह इस विधान पत्र में संशोधन करे जो कि राजस्थान सोसाईटी रजिस्ट्रेशन एक्ट १९५८ की धारा १२ के अनुसार हो।
- सरकार की शक्तियां : राज्य सरकार अकादमी को दिशा-निर्देश दे सकती है तथा ये दिशा-निर्देश संगठन के उद्देश्यों को पूरा करने के सन्दर्भ में अकादमी के प्रतिवेदन में उचित होगें, तो यह अकादमी का कर्त्तव्य होगा कि वो इन्हें पूरा करे।
- अकादमी की मान्यता रद्द : यदि किसी समय राज्य सरकार को यह आभास हो कि संगठन या अकादमी अपने कार्य एवं कर्त्तव्यों से विमुख हो रही है या ज्ञापन-पत्र के अनुसार कार्य नहीं कर रही है, या अपनी शक्तियों का दुरूपयोग कर रही है तो राज्य सरकार एक निश्चित अवधि के लिये जो कि एक कलेण्डर वर्ष से अधिक न हो, निलम्बित कर देगी तथा एक अध्यादेश जारी कर, एक प्रशासक की नियुक्ति करके अकादमी के कार्यो को पूरा किया जायेगा तथा राज्य सरकार द्वारा अकादमी का पुर्नगठन निलम्बन तिथि से एक कलेण्डर वर्ष खत्म होने से पहले किया जायेगा।
- राजस्थान सोसाइटीज रजिस्ट्रेशन एक्ट १९५८ की धारा १३ व १४ के तहत अकादमी को भंग किया जा सकेगा।
(बी) अकादमी की निलम्बन की स्थिति में इसकी सभी अधिकारिक संस्थायें, समितियां
भंग होंगी तथा इसके सभी सदस्यों की नियुक्ति उसी तारीख से रिक्त होगी जैसा कि
कार्यालय गजट में लिखित होगी लेकिन बिना किसी पूर्वानुमान के उनकी पुर्ननियुक्ति
की योग्यता, पुनः चयन, पुनः नामांकन आदि होगा।
18. राजस्थान सोसाइटीज, जयपुर के रजिस्ट्रार को अधिकार होगा कि वह अकादमी का निरीक्षण करें तथा उसके सुझावों को आगे प्रस्तावित करना होगा।
संगठन के ज्ञापन तथा संगठन के अनुच्छेदों की सही प्रतिलिपि को निम्न अधिकारियों ने प्रमाणित किया।
१. ह० चेयरमैन
२. ह० (श्यामदास कोकिल) सदस्य
३. ह० (टी.सी.भगत) सदस्य
४. ह० (गोरधन दास ठाकुर) सदस्य
५. ह० (लक्ष्मण भंभाणी) सदस्य
६. ह० (प्रभूनारायण नाट्यचार्य) सदस्य
७. ह० (रामेश्वर मूर्तिकार) सदस्य