1 |
डॉ. रामानंद तिवारी |
भारतीय संस्कृति के प्रतीक(नि.) |
1959-60 |
2 |
डॉ. रामानंद तिवारी |
अभिनव रस मीमांसा (आ.) |
1962-63 |
3 |
श्री रघुवीर मित्र |
भूमिजा (का.) |
1963-64 |
4 |
श्री पोद्दार रामावतार‘अरुण’ |
बाणाम्बरी (का.) |
1963-64 |
5 |
डॉ. वेंकट शर्मा |
काव्य सर्जना और काव्यास्वाद (आ.) |
1974-75 |
6 |
डॉ. दयाकृष्ण विजय |
आंजनेय (का.) |
1978-79 |
7 |
डॉ. पानू खोलिया |
सत्तर पार के शिखर (उप.) |
1979-80 |
8 |
श्री हमीदुल्ला |
उत्तर उर्वशी (ना.) |
1980-81 |
9 |
श्री यादवेन्द्र शर्मा ‘चन्द्र’ |
हजार घोड़ों का सवार (उप.) |
1982-83 |
10 |
श्री नंद चतुर्वेदी |
शब्द संसार की यायावरी (आ.) |
1983-84 |
11 |
श्री विजेन्द्र |
चैत की लाल टहनी (का.) |
1986-87 |
12 |
श्री नंदकिशोर आचार्य |
वह एक समुद्र था (का.) |
1986-87 |
13 |
श्री हरीश भादानी |
एक अकेला सूरज खेले (का.) |
1986-87 |
14 |
श्री ऋतुराज |
नहीं प्रबोध चन्द्रोदय (का.) |
1987-88 |
15 |
श्री ईश्वर चन्दर |
लौटता हुआ अतीत (कथा.) |
1988-89 |
16 |
डॉ. विश्वंभरनाथ उपाध्याय |
जोगी मत जा (उप.) |
1990-91 |
17 |
श्री अन्नाराम सुदामा |
आंगन नदिया (उप.) |
1991-92 |
18 |
डॉ. कन्हैयालाल शर्मा |
पूर्वी राजस्थानी उद्भव और विकास (आलो.) |
1992-93 |
19 |
डॉ. राजेन्द्रमोहन भटनागर |
प्रेम दीवानी (उप.) |
1994-95 |
20 |
श्री भगवान अटलानी |
अपनी-अपनी मरीचिका (उप.) |
1995-96 |
21 |
श्रीमती सावित्री परमार |
जमी हुई झील (कथा) |
1997-98 |
22 |
डॉ. चंद्रप्रकाश देवल |
बोलो माधवी (काव्य) |
1998-99 |
23 |
डॉ. जीवनसिंह |
कविता और कविकर्म (आलो.) |
2000-01 |
24 |
डॉ. जबरनाथ पुरोहित |
रेंगती हैं चिटियां (काव्य) |
2001-02 |
25 |
श्री हरिराम मीणा |
हां, चांद मेरा है (काव्य) |
2002-03 |
26 |
श्री बलवीर सिंह ‘करुण’ |
मैं द्रोणाचार्य बोलता हूं (महाकाव्य) |
2005-06 |
27 |
श्री आनंद शर्मा |
अमृत पुत्र (उप.) |
2007-08 |
28 |
श्रीमती मृदुला बिहारी |
कुछ अनकही (उप.) |
2008-09 |
29 |
डॉ. जयप्रकाश पण्ड्या ‘ज्योतिपुंज‘ |
बोलो मनु! बोलते क्यों नहीं? |
2010-11 |
30 |
श्री अम्बिका दत्त |
आवों में बारहों मास |
2011-12 |
31 |
श्री भवानी सिंह |
मांणस तथा अन्य कहानियां |
2012-13 |